बाल विवाह के खात्मे की कुंजी है कानूनी कार्रवाई ----महेशानंद भाई ( गैर सरकारी संगठन ग्राम स्वराज समिति)

 बाल विवाह के खात्मे की कुंजी है कानूनी कार्रवाई ----महेशानंद भाई ( गैर सरकारी संगठन ग्राम स्वराज समिति) 


संह संपादक मदन मोहन सत्य हिंदी टीवी नौगढ़ चंदौली

सोनभद्र और चंदौली जिले के गैर सरकारी संगठन ग्राम स्वराज्य समिति ने 2023-24 के दौरान 300 बाल विवाह आपसी समझौते से रुकवाए । 

मौजूदा दर के हिसाब से बाल विवाह के लंबित मामलों के निपटारे में भारत को लग सकते हैं 19 साल

भारत में बाल विवाह के खात्मे में कानूनी कार्रवाइयों और अभियोजन की अहम भूमिका को उजागर करने वाली एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए उत्तरप्रदेश के सोनभद्र और चंदौली के गैर सरकारी संगठन ग्राम स्वराज्य समिति ने कहा कि कानूनी कार्रवाइयां और कानूनी हस्तक्षेप 2030 तक बाल विवाह के खात्मे के लक्ष्य को हासिल करने की कुंजी हैं और उसने 2023- 24 के दौरान सोनभद्र और चंदौली में 300 बाल विवाह रुकवाए हैं। ‘टूवार्ड्स जस्टिस : इंडिंग चाइल्ड मैरेज’ शीर्षक से जारी यह रिपोर्ट इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन की शोध टीम ने तैयार की है। ग्रामस्वराज्य समिति और चाइल्ड प्रोटेक्शन फंड 2030 तक देश से बाल विवाह के खात्मे के लिए काम कर रहे बाल विवाह मुक्त भारत के सहयोगी संगठन के तौर पर साथ हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे -5 के अनुसार बाल विवाह की दर राष्ट्रीय औसत 23.3 है।संगठन ने सरकार से अपील की कि वह अपराधियों को सजा सुनिश्चित करे ताकि बाल विवाह के खिलाफ लोगों में कानून का भय पैदा हो सके।

आइ सी पी की रिपोर्ट ‘टूवार्ड्स जस्टिस :इंडिंग चाइल्ड मैरेज’ बाल विवाह के खात्मे के लिए न्यायिकतंत्र द्वारा पूरे देश में फौरी कदम उठाने की आवश्यकता को रेखांकित करती है।रिपोर्ट के अनुसार 2022 में देश भर में बाल विवाह के कुल 3,563 मामले दर्ज हुए, जिस में सिर्फ 181 मामलों का सफलता पूर्वक निपटारा हुआ। यानी लंबित मामलों की दर 92 प्रतिशतहै। मौजूदा दर के हिसाब से इन 3,365 मामलों के निपटारे में 19 साल का समय लगेगा।

बाल विवाह की रोक थाम के लिए असम सरकार की कानूनी कार्रवाई पर जोर देने की रणनीति के शानदार नतीजे मिले हैं और इस मॉडल की सफलता को देखते हुए इसे पूरे देश में आजमाया जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार 2021-22 से 2023-24 के बीच असम के 20 जिलों में बाल विवाह के मामलों में 81 प्रतिशत की कमी आई है जो बाल विवाह के खात्मे में कानूनी कार्रवाई की अहम भूमिका का सबूत है।इस अध्ययन में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) और असम के 20 जिलोंके 1,132 गांवों से आंकड़े जुटाए गए जहां कुल आबादी 21 लाख है जिनमें 8 लाख बच्चे हैं।नतीजे बताते हैं कि बाल विवाह के खिलाफ जारी असम सरकार के अभियान के नतीजे में राज्य के 30 प्रतिशत गांवों में बाल विवाह पर पूरी तरह रोक लग चुकी है जबकि 40 प्रतिशत उन गांवों में इस में उल्लेखनीय कमी देखने को मिली जहां कभी बड़े पैमाने पर बाल विवाह का चलन था।

रिपोर्ट के तथ्यों और आंकड़ों का हवाला देते हुए संगठन ने कहा कि बाल विवाह के मामलों में सरकार की मदद से कानूनी हस्तक्षेप यहां भी काफी प्रभावी साबित हुआ है। ग्राम स्वराज्य समिति के निदेशक महेशानंद भाई ने कहा, “इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन की यह रिपोर्ट साफ तौर से कानूनी कार्रवाई और अभियोजन की अहमियत को रेखांकित करती है।

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