*सुदखोरो के मकड़ जाल में फंसकर छटपटा रहे छोटे कारोबारी...*

 *सुदखोरो के मकड़ जाल में फंसकर छटपटा रहे छोटे कारोबारी...*


ब्यूरो रिपोर्ट

*सोनभद्र। मधुपुर* अधिकतर परिवार फाइनैंसरों के मकडज़ाल में फंसे हुए हैं। विडम्बना यह है कि कई लोगों के शहर से पलायन करने के बाद भी शाशन-प्रशासन का नहीं है कोई डर भय मोहल्ले में कार्यालय खोलकर बैठे इन कथित फाइनैंसर (सूदखोरों) पर लगाम नहीं कस पाया है। इसके चलते इनका आतंक दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। ये हाल जनपद सोनभद्र के करमा ब्लाक क्षेत्र में छोटे-बड़े कई फाइनैंसर अवैध तौर पर काम कर रहे हैं। इन सबके कारण गरीब पिस और मर रहा है, क्योंकि उसे पैसे की जरूरत पूरा कर आज का दिन निकालना होता है। उसे ये नहीं पता कि इन सब के चक्कर में वह अपना और परिवार का भविष्य बर्बाद कर रहा है। 

*कर्ज लेता है एक,चंगुल में फंसता है पूरा परिवार*


*महंगाई,बेरोजगारी व गरीबी का उठा रहे फायदा*

 इन तीनों परिस्थितियों का तालमेल किसी भी व्यक्ति को सूदखोरी के जाल में फंसा देता है। महंगाई दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है और बेरोजगार के लिए इससे पार पाने के लिए किसी न किसी दिन कथित फाइनैंसर्स का दरवाजा खटखटाना पड़ता है। अगर कोई व्यक्ति कठिन परिस्थिति में कथित फाइनैंसर के चंगुल में फंस जाए तो इनके चंगुल से निकलना आसान नहीं होता। अगर कर्ज लेने वाला व्यक्ति सूद समेत रुपए वापस नहीं कर पाता तो फाइनैंसर सूद को मूल में जोड़कर अगले महीने से ज्यादा पैसे वसूलने का प्रयास करते हैं साथ ही उसके परिवार के लोगों पर दवाब बनाने लगते हैं।

*रुपए न मिलने पर करते हैं बेईज्जत*


पहले छोटे ब्याज पर पैसे देने को बोलकर बाद में चक्रवृद्धि ब्याज जोड़कर पैसे वसूलने के क्रम में कर्ज न चुकाने पर कर्जदार व उसका परिवार आनाकानी करता है, तो कथित फाइनैंसर उसकी बदनामी शुरू कर देते हैं। आए दिन घर व प्रतिष्ठान पर पहुंचकर अभद्रता और मारपीट करने लगते हैं। 

अब देखना यह है कि प्रशासन इस तरह के तथाकथित फाइनेंसरों पर किस तरह कार्यवाही करती है...

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