सोनभद्र के मूल निवासी आदिवासियों की जमीनों पर बाहरी भूमाफिया दबंग कर रहे है, कब्जा
सह संपादक कन्हैयालाल सत्य हिंदी टीवी
सोनभद्र/यूपी के सोनभद्र जिले के मऊ कला गांव के आदिवासियों की 30 से 40 बीघा जमीन पर दबंगों द्वारा अवैध तरीके से खतौनी में अपना नाम दर्ज करा कर कब्जा करने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं दर्जनों आदिवासियों ने इस मामले की शिकायत जिले की शासन प्रशासन से भी किया मगर कोई कार्रवाई होता ना देख अब आदिवासी न्यायालय की शरण में जाकर न्याय की गुहार लगा रहे हैं।सोनभद्र। रॉबर्ट्सगंज सदर तहसील के मऊ कलां में रहने वाले मूल निवासी आदिवासियों की जमीन पर दबंग अवैध कब्जा कर रहे हैं। आदिवासी कई पीढियां से अपनी जमीन को जोत कोड़ रहे हैं, लेकिन रेवेन्यू रिकार्ड्स में हेरा फेरी करके कुछ दबंग आदिवासियों को जमीन खाली करने की धमकी दे रहे हैं। आदिवासियों ने अपने जमीन के मामले को लेकर ने कई बार प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के पास कई बार गुहार लगा चुके हैं। इसके बावजूद भी आज तक दबंग पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। करीब 30 से 40 बीघा जमीन पर 200 आदिवासी निवास कर रहे है। कोई ठोस कार्रवाई होता ना देख आदिवासियों ने रिट याचिका वे माध्यम से न्यायालय की शरण ली है। जिले में लगातार आदिवासी अपनी पुश्तैनी जमीनों से बेदखल हो रहे है। जमीन के विवाद को लेकर जिले में हो चुका है उम्भा कांड जैसा संघर्ष जिसमे गोलीकांड के चलते 10 आदिवासियों की जान चली गयी थी। सर्वे सेटेलमेंट में राजस्व कर्मियों की मिलीभगत से गलत तरीके से वर्ष 1972 में खतौनी में हेरफेर करके बाहरी लोगों के नाम रिकार्ड्स में शामिल कर लिया गया है। आदिवासियों और दबंगो में संघर्ष की स्थिति बन रही है,लेकिन जिला प्रशासन आंखे मूंदे हुये है।मऊ कलां की ग्रामीण बुजुर्ग आदिवासी महिला धनवा का कहना है कि यहां के आदिवासी कई पीढियां से अपनी जमीन को जोत कोड़ रहे हैं, सोनभद्र जिले के चुर्क के ठाकुर ने आज हमारी जमीन पर कब्जा करने का प्रयास कर रहे हैं। इस जमीन की खतौनी हम लोगों के नाम पर दर्ज है। अपनी जमीनों पर हम लोग धान, गेहूं ,चना, मटर आदि की खेती सदियों से करते चले आ रहे हैं। दबंग ने धोखे से हमलोगों की जमीन पर अपना नाम दर्ज कर के हम लोगों को काफी परेशान किया जा रहा है। हम लोगों ने कई बार जिले के शासन प्रशासन को इस घटना के बारे में अवगत कराया लेकिन हम लोगों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। सुनवाई होता ना देख हम आदिवासियों ने अब न्यायालय का शरण लिया है।मऊ कला के पूर्व प्रधान दशरथ ने बताया कि हम लोग पूर्वजों के जमाने से ही इस जमीन पर खेती-बाड़ी करते चले आ रहे हैं। हम लोगों को पता ही नहीं चला कि हम लोगों की जमीन किसी दूसरे के नाम पर दर्ज है, आए दिन दबंग हम लोगों को परेशान करते हैं जिसको लेकर हम लोग कई बार प्रशासन को भी अवगत कराया, मगर इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। आज हम लोग न्यायालय का शरण लिए हैं, और हमें उम्मीद है कि न्यायालय हमारे साथ न्याय जरूर करेगी।वही इस मामले में रमेश कुमार तुरिया का कहना है कि इस जमीन पर तीन-चार पीढ़ियों से खेती करते चले आ रहे हैं। कुछ दिनों पूर्व हमें मालूम चला कि हमारी जमीन पर चुर्क के कोई ठाकुर ने अवैध तरीके से हमारी जमीनों पर अपना नाम दर्ज कर दिया है। हम लोगों ने आज तक उनको देखा भी नहीं है और गांव वाले भी उनको नहीं जानते हैं। अगर हम लोगों की प्रशासन सुनवाई नहीं करती है, तो उम्भा कांड जैसी घटना हमारे यहां भी हो सकती है।वही उच्च न्यायालय के अधिवक्ता उदय प्रकाश देव पांडे का कहना है कि मऊ कला के दर्जनों आदिवासी हमारे पास आए हैं, और आदिवासियों कहना है कि उनकी जमीनों पर किसी दबंग ने अवैध तरीके से वर्ष 1972 खतौनी में अपना नाम दर्ज कर लिया है। आदिवासियों की जमीन की पैमाइश करने के लिए पहुंचे दबंग तो आदिवासियों ने उन्हें नहीं पहचाना। वही दबंग का कहना था कि यह हमारी जमीन है, इसे जल्द से जल्द खाली कर दो, आदिवासी भयभीत होकर अपने ग्राम प्रधान के माध्यम से इसकी एक शिकायत पत्र जिलाधिकारी को भी देकर न्याय की गुहार लगाई, लेकिन उनकी तरफ से कोई ठोस कार्रवाई नही हुई। डीएम और सरकार इस मामले को लेकर कोई सुनवाई होता ना देख, इस मामले को लेकर हमारी तरफ से उच्च न्यायालय में एक पिटीशन याचिका दाखिल की गई है। इस मामले में उच्च न्यायालय ने काउंटर काल कर रखा है।
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